सुस्वागतम्

आप सभी ब्लाँगर गणों का तथा विजिटरों का हमारे ब्लाँग में स्वागत है।





शनिवार, 31 जुलाई 2010

क्या दोस्ती जरूरी है ?



आज के समय में हर साल कई दिवस आते हैं और चले जाते है। बहुत लोगों को इनके बारे में पता भी नही होता है या कह लिजिए की वो जानना भी नही चाहते हैं। परन्तु कुछ ऐसे दिवस भी होते हैं जिन्हे कोई जानकर भी भूलना नही चाहेगा, जैसेः- फादर-डे, मदर-डे औऱ फ्रेण्डशिप-डे।

विगत कई वर्षों से फ्रेण्डशिप-डे मनाने की परम्परा चली आ रही है और यह दिवस केवल भारत में ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व में अति उल्लास और आनन्द के साथ मनाया जाता है। इस दिन कई बिछङे दोस्त, कई पुराने दोस्त एक-दूसरे से मिलकर अपनी दोस्ती के सिलसिले को और आगे बढाते है। अब दोस्तों में इस दिन एक-दूसरे को फ्रेण्डशिप-बैण्ड बाँधने का भी रिवाज हो गया है, पर ऐसा कोई जरूरी नहीं है। दोस्ती एक-दूसरे के प्रति दिल से होनी चाहिये, जो वर्षों तक एक-दूसरे के सुख-दुःख में काम आ सके।

दोस्त कोई भी हो सकता है, यह कोई जरूरी नही है कि दोस्त कोई बाहरी व्यक्ति ही हो। दोस्ती आपके परिवारिक सदस्यों में भी हो सकता है। आपकी माँ, भाई, बहन, पिता व अन्य कोई भी परिवारिक सदस्य आपका दोस्त हो सकता है। फ्रेण्डशिप-डे का मतलब केवल यह नही है कि एक दिन आया, दोस्तों से कुछ पल के लिए मिल लिया गया या फोन से ही फ्रेण्डशिप-डे पर बधाई दे-दी गई या फिर फ्रेण्डशिप बैण्ड बाँधकर खाना-पूर्ति पूरी कर दी, बस हो गया। बल्कि फ्रेण्डशिप-डे दोस्तों को एक-दूसरे के औऱ करीब लाने, एक-दूसरे के सुख-दुःख बाँटने, आपस में बाते शेयर करने और एक-दूसरे की सहायता करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। फ्रेण्डशिप-डे के उपलक्ष्य पर कुछ लाइनें रचना स्वरूप प्रस्तुत हैं :-


दोस्त ही दोस्त के काम आता है,

दोस्त ही संबध मधुर बनाता है।

दोस्त होते हैं सुख-दुःख का सहारा,

दिल से दोस्ती ही लक्ष्य हमारा।

दोस्त से मिलाओ दिल से हाथ,

उठाओ आनंद और जीवन भर साथ।

दोस्ती न होती तो बेकार था संसार,

न मिलते दोस्त, न उनका प्यार।

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

महाप्रयोग से क्या लाभ ?



जेनेवा में वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्नाण्ड की उत्पत्ति को जानने के उद्देश्य से महामशीन लगाई गई है। ऐसा अनुमान है कि वैज्ञानिकों द्वारा जेनेवा में चल रहे इस महामशीन के महाप्रयोग से जहाँ एक ओऱ ब्रह्नाण्ड की उत्पत्ति की गुत्थी सुलझने की उम्मीद है, तो वहीं दूसरी ओऱ इसके प्रयोग के चलते धरती के अन्दर होने वाली नाभिकीय प्रक्रियाओं से कैंसर जैसे असाध्य रोगों से निपटने के लिए भी अतिमहत्वपूर्ण तथ्य मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही इसके नाभिकीय कचरे के निपटाने एवं मौसम परिवर्तन हेतु भी कई जानकारी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

वास्तव में महामशीन का सफलतम प्रयोग एक बङी उपलब्धि की ओऱ इशारा करता है। परन्तु अगर ये प्रयोग असफल होता है, तो इससे होने वाली तबाही का मंजर हमारी सोच से भी परे होगा।

शनिवार, 10 जुलाई 2010

शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी दखल


आज प्राथमिक शिक्षा  से लेकर उच्च शिक्षा तक धनाधीन होने के कारण शिक्षा क्षेत्र व्यवसाय क्षेत्र में तब्दील हो गया है। इसी कारण से इस क्षेत्र में विदेशी विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता को ऊत्क्रष्टता के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसके कारण हमारी प्रतिभा का पलायन जारी है। भारत देश में प्रबंधन संस्थानों कि संख्या लगातार बढती जा रही है, लेकिन प्रबंधन बिगड़ता जा रहा है। देश में प्रबंधन संस्थानों कि संख्या बढ़ना एक अच्छा सन्देश है, परन्तु इन संस्थानों से निकलने वाले ५ प्रतिशत युवा भी स्वरोजगार कि ओर उन्मुख नहीं होते है, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनी में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराते है। इसके साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा  अच्छे रोजगार के नाम पर युवाओं का शोषण भी जारी है। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन युवायों को एक आयु तक प्रयोग करने के बाद कंपनी से निकल देते है। इसके साथ ही इन युवाओं के बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य करने के कारण ये अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाजों से भी दूर हो जाते है।